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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2725
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण तथ्य

विवाह वह सामाजिक संस्था है जिसके आधार पर समाज की प्रारम्भिक इकाई परिवार का निर्माण होता है।

विवाह का शाब्दिक अर्थ है उद्धह अर्थात् वधू का वर के घर में जाना।

मुरडाक़ ने विश्व के 250 समाजों के अध्ययन के आधार पर तीन प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख किया है-

(i) यौन सम्बन्धी इच्छाओं की पूर्ति
(ii) आर्थिक सहयो,
(iii) सन्तान का पालन-पोषण

विवाह दो प्रकार के होते हैं एक विवाह, बहु-विवाह।

एक विवाह -  एक परुष की एक पत्नी या एक स्त्री का एक ही पति हो।
बहु-विवाह - बहुपत्नी विवाह, बहुपति विवाह, द्विपत्नी विवाह, समूह विवाह

विवाह के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत् हैं-

(i) यौन इच्छाओं की पूर्ति एवं समाज में यौन क्रियाओं का नियमन,
(ii) वैध सत्नानोत्पत्ति करना,
(iii) स्त्री-पुरुष में आर्थिक सहयोग प्रदान करना,
(iv) माता-पिता तथा बच्चों में नवीन अधिकारों एवं दायित्वों को जन्म देना,
(v) परिवार का निर्माण करना एवं नातेदारी का विस्तार करना,
(vi) सन्तानों का लालन-पालन करना,
(vii) मानसिक सन्तोष प्रदान करना,
(viii) संस्कृति का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरण करना,
(ix) धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक उद्देश्यों की पूर्ति करना,
(x) धार्मिक सुरक्षा प्रदान करना।

हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 भी एक विवाह को ही मानता है।

बहुपत्नी विवाह - जिसमें एक पुरुष दो या दो से अधिक स्त्रियों से विवाह करता है।

बहुपत्नी विवाह के कारण - पुत्र प्राप्ति के कारण, सामाजिक प्रतिष्ठा, कामवासना एवं यौन अनुभव, युद्ध एवं आक्रमण, आर्थिक कारण, लिंग असमानता।

साली विवाह - जिन समाजों में साली विवाह की प्रथा प्रचलित होती है वहाँ प्रथा के रूप में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी की सभी बहनों से विवाह करना पड़ता है। साली विवाह दो प्रकार के होते हैं-

1. सीमित साली विवाह - इसमें व्यक्ति अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद साली से विवाह करता है। यह प्रथा भील जाति में पाई जाती है।

2. समकालीन साली विवाह - इस विवाह में पुरुष एक समय में परिवार की सबसे बड़ी लड़की से विवाह करता है एवं उस स्त्री की अन्य सभी बहनें अपने आप उसकी पत्नी बन जाती हैं।

जब एक भाई की मृत्यु हो जाती है तो उसकी विधवा पत्नी से दूसरा भाई विवाह करता है तो उसकी पत्नियों की संख्या बढ़ जाती है, इसे पति-भ्राता विवाह भी कहते हैं।

सीमित बहुपत्नी विवाह में एक स्त्री के मरने के बाद ही दूसरी स्त्री से विवाह किया जाता है।

असीमित बहुपत्नी विवाह में स्त्री के बाँझ होने की स्थिति में अथवा अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये पुरुष से अधिक स्त्रियों से विवाह करता है।

स्वस्टक बहुपत्नी विवाह में एक पुरुष का एक स्त्री की कई बहिनों से विवाह होता है।

समूह विवाह में पुरुषों का एक समूह स्त्रियों के एक समूह से विवाह करता है और समूह का प्रत्येक पुरुष समूह की प्रत्येक स्त्री का पति होता है।

एस्किमो तथा आरेगन जनजातियों में द्वि-पत्नी विवाह प्रचलित है।

बहुपति विवाह के कारण धार्मिक कारण, सम्पत्ति का विभाजन रोकने के लिये, वधू मूल्य की अधिकता के कारण, जनसंख्या को मर्यादित रखने की इच्छा के कारण भी बहुपति विवाह का पालन किया जाता है।

अन्तर्विवाह के कारण प्रजाति मिश्रण पर रोक, जन्म का महत्व, मुसलमानों का आक्रमण, व्यावसायिक ज्ञान की सुरक्षा, सांस्कृतिक भिन्नता, जैन एवं बौद्ध धर्म का विकास, बाल विवाह।

टोटम कोई भी एक पशु, पक्षी, पेड़, पौधा अथवा निर्जीव वस्तु हो सकती है।

हिन्दू विवाह के उद्देश्य-

(1) धार्मिक कार्यों की पूर्ति
(2) पुत्र प्राप्ति
(3) रति आनन्द,
(4) व्यक्तित्व का विकास
(5) समाज के प्रति कर्त्तव्यों का निर्वाह ।

मनुस्मृति के अनुसार मान्य विवाह ब्रह्म विवाह, दैव विवाह, प्रजापत्य विवाह, आर्य विवाह।

मनुस्मृति के अनुसार अमान्य विवाह असुर विवाह, राक्षस विवाह, गन्धर्व विवाह, पैशाच विवाह।

सही या वैध विवाह स्थायी प्रकृति का होता है। इसे निकाह भी कहते हैं।

मुताह विवाह में सहवास काल निश्चित कर दिये जाने के कारण, इसकी प्रकृति अस्थायी होती है। यह विवाह शिया लोगों में प्रचलित है।

मुसलमानों में विवाह विच्छेद की विधियां - मुसलमानों में विवाह विच्छेद की निम्न विधियां प्रचलित हैं- तलाक, इला, जिंहर, खुला मुबर्रत, तलाक-ए-तालबिद।

मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम 1939 में निम्नलिखित प्रावधान हैं-

(1) जब चार वर्ष से पति का कोई पता न चल रहा हो
(2) जब पति जानबूझकर अथवा अपनी असमर्थता के कारण दो वर्ष से पत्नी के भरण-पोषण की व्यवस्था न कर रहा हो
(3) जब पति को सात वर्ष या उससे भी अधिक अवधि की कैद का दण्ड मिला हो
(4) विवाह के समय से ही पति नपुंसक हो।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 भारतीय समाज की संरचना एवं संयोजन : गाँव एवं कस्बे
  2. महत्वपूर्ण तथ्य
  3. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  4. उत्तरमाला
  5. अध्याय - 2 नगर और ग्रामीण-नगरीय सम्पर्क
  6. महत्वपूर्ण तथ्य
  7. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  8. उत्तरमाला
  9. अध्याय - 3 भारतीय समाज में एकता एवं विविधता
  10. महत्वपूर्ण तथ्य
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 4 भारतीय समाज का अध्ययन करने हेतु भारतीय विधा, ऐतिहासिक, संरचनात्मक एवं कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य
  14. महत्वपूर्ण तथ्य
  15. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  16. उत्तरमाला
  17. अध्याय - 5 सांस्कृतिक एवं संजातीय विविधताएँ: भाषा एवं जाति
  18. महत्वपूर्ण तथ्य
  19. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  20. उत्तरमाला
  21. अध्याय - 6 क्षेत्रीय, धार्मिक विश्वास एवं व्यवहार
  22. महत्वपूर्ण तथ्य
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 7 भारत में जनजातीय समुदाय
  26. महत्वपूर्ण तथ्य
  27. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  28. उत्तरमाला
  29. अध्याय - 8 जाति
  30. महत्वपूर्ण तथ्य
  31. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  32. उत्तरमाला
  33. अध्याय - 9 विवाह
  34. महत्वपूर्ण तथ्य
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 10 धर्म
  38. महत्वपूर्ण तथ्य
  39. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  40. उत्तरमाला
  41. अध्याय - 11 वर्ग
  42. महत्वपूर्ण तथ्य
  43. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  44. उत्तरमाला
  45. अध्याय - 12 संयुक्त परिवार
  46. महत्वपूर्ण तथ्य
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 13 भारत में सामाजिक वर्ग
  50. महत्वपूर्ण तथ्य
  51. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  52. उत्तरमाला
  53. अध्याय- 14 जनसंख्या
  54. महत्वपूर्ण तथ्य
  55. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  56. उत्तरमाला
  57. अध्याय - 15 भारतीय समाज में परिवर्तन एवं रूपान्तरण
  58. महत्वपूर्ण तथ्य
  59. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  60. उत्तरमाला
  61. अध्याय - 16 राष्ट्रीय एकीकरण को प्रभावित करने वाले कारक : जातिवाद, साम्प्रदायवाद व नक्सलवाद की राजनीति
  62. महत्वपूर्ण तथ्य
  63. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  64. उत्तरमाला

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